परमात्मा का उद्देश्यपूर्ण सृजन और सद्गुरु का अवतरण
सद्गुरु भगवान को एक अदृश्य शक्ति जो उन्हें कोलकाता की ओर खींच रही थी
सदगुरु भगवान की यात्रा पार्ट 1
इस विराट् सृष्टि में कुछ भी यूँ ही नहीं घटित होता। परमात्मा ने किसी भी प्राणी, तत्व अथवा पदार्थ को बिना उद्देश्य इस धरा पर नहीं भेजा। संसार का कण–कण अपने भीतर एक गहन रहस्य और नियत प्रयोजन समेटे हुए है।
वायु का प्रवाह केवल श्वास के लिए ही नहीं, अपितु जीवन के संतुलन और गति के लिए है। जल की तरलता केवल प्यास बुझाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के पोषण और पृथ्वी की हरियाली के लिए है। अग्नि का ताप केवल उष्मा देने के लिए नहीं, बल्कि ऊर्जा का आधार और परिवर्तन का प्रतीक है। सूर्य का उदय केवल प्रकाश देने के लिए नहीं, बल्कि जागरण, चेतना और समय के प्रवाह का संकेत है। चन्द्रमा केवल शीतलता के लिए नहीं, बल्कि सौंदर्य, शांति और मन की कोमलता का दूत है। नदियाँ केवल बहने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को निरंतर आगे बढ़ाने और सबको जोड़ने की शिक्षा देने के लिए हैं।
यह सम्पूर्ण जगत् इसी गहन उद्देश्य के सूत्र में बँधा हुआ है। इसीलिए कहा गया है कि सृष्टि बिना प्रयोजन नहीं चल रही, वरन् प्रत्येक वस्तु परमात्मा की एक विशेष योजना का अंग है।
मनुष्य भी इस धरती पर यूँ ही नहीं आया। उसके जीवन का भी एक महान उद्देश्य है। परंतु साधारण दृष्टि से बंधा हुआ जीव अक्सर इस उद्देश्य को पहचान नहीं पाता। जब मनुष्य मोह, माया और अज्ञान के जाल में उलझ जाता है, तब परमात्मा अपनी करुणा से मार्गदर्शन के लिए एक दिव्य माध्यम भेजते हैं। यह माध्यम होते हैं सद्गुरु।
सद्गुरु परमात्मा की ही वाणी और इच्छा का प्रतिबिंब होते हैं। वे सत्य का उद्घाटन करते हैं, जीवन के रहस्यों को स्पष्ट करते हैं और अज्ञान के अंधकार में भटके हुए जीवों के लिए दीपक बन जाते हैं। जिस प्रकार सूरज धरती को आलोकित करता है, उसी प्रकार सद्गुरु आत्मा के अंधकार को हटाकर ईश्वर के प्रकाश से जोड़ देते हैं।
इस प्रकार देखा जाए तो परमात्मा स्वयं को सीधे प्रकट न करके, सद्गुरु के माध्यम से अपने को अभिव्यक्त करते हैं। सद्गुरु ही वह सेतु हैं जो जीव और शिव के बीच पुल का कार्य करते हैं।
सद्गुरु भगवान की दिव्य यात्रा
सद्गुरु भगवान को एक अदृश्य शक्ति लगातार कोलकाता की ओर खींच रही थी। उन्हें समझने के लिए हमें पश्चिम बंगाल तक जाना होगा, जहाँ माता चक्रवर्ती का अदृश्य आश्रम स्थित था। माता चक्रवर्ती अपनी बहन माता ब्रह्मचारी के साथ यहाँ निवास करती थीं। यह केवल एक साधना स्थल नहीं था; यहाँ वे आने वाले शिष्यों को गहन आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करती थीं। कहा जाता है कि माता अपने पूर्व जीवन के शिष्यों की खोज में थीं।
इसी दिव्य धारा में, उनके शिष्य अपने पुराने स्वरूप को त्यागकर “नए स्वरूप” में जन्म ले चुके थे जो अपने पिछले जीवन की स्मृतियों से विस्मृत होकर, और नए जीवन के उद्देश्य विहीन यात्रा पर थे
परम पूज्य श्री सद्गुरु जी महाराज का प्रारंभिक जीवन
इन्हीं शिष्यों में से एक थे परम पूज्य श्री सद्गुरु जी महाराज, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कोलुवहवा टांडा में जन्मे ले चुके थे। जब सदगुरु भगवान किशोर से युवा अवस्था में प्रवेश करते ही उन्होंने जीवन की कठिनाइयाँ अनुभव कीं—बेरोजगारी, हताशा और निराशा।
यहीं उनके जीवन में घटित हुई एक अद्भुत घटना घटी जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बना
उस समय सद्गुरु जी जीवन की चुनौतियों और पारिवारिक कठिनाइयों से जूझ रहे थे। मां कटु वचनों और परिस्थितियों से आहत होकर उन्होंने घर छोड़ने का निश्चय किया। यह निर्णय केवल पलायन नहीं था, बल्कि एक अदृश्य महान शक्ति का आह्वान था, जो उन्हें पश्चिम बंगाल, विशेषकर कोलकाता की ओर खींच रही थी। यह वही शक्ति थी जिसने उनके जीवन का मार्ग बदलने वाले प्रसंग का सूत्रपात किया।
यात्रा की शुरुआत
घर छोड़ने के बाद सद्गुरु जी ने किसी तरह एक बस में यात्रा प्रारंभ की। उनके पास टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। टिकट कंडक्टर से बचते हुए उन्होंने चुपचाप अपनी सीट पर सिर झुकाकर बैठना उचित समझा।
तभी वही अद्भुत शक्ति सक्रिय हुई। परिस्थितियाँ इस प्रकार निर्मित हुईं कि न केवल उनका टिकट स्वयं बन गया, बल्कि उनके हाथ में 480 रुपये भी आ पहुँचे। यह कोई साधारण संयोग नहीं था, बल्कि उस दैवी शक्ति का संकेत था जो हर क्षण उन्हें उनके जीवन के उद्देश्य की ओर अग्रसर कर रही थी। सद्गुरु जी ने महसूस किया कि यह शायद किसी पिछले जन्म का ऋण था जो इस जन्म में चुका रहे थे।
दिव्य संकेत और उद्देश्य
यह घटना केवल संयोग नहीं थी। यह इस सत्य का प्रमाण थी कि परमात्मा जब किसी को अपने कार्य के लिए चुनते हैं, तो परिस्थितियाँ स्वतः उनके पक्ष में निर्मित हो जाती हैं।
सद्गुरु जी का यह अनुभव उनके जीवन का निर्णायक मोड़ बन गया—एक ऐसा मोड़ जिसने उन्हें साधारण जीवन से उठाकर दिव्य मार्ग पर अग्रसर किया, और आगे चलकर लाखों लोगों का जीवन बदलने वाला बन गया।
क्रमशः जारी --------------------------------------
आचार्य अरपितेस्वारा नन्द
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